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हमारी प्रेरणा

शिवदयाल सिंह चौरसिया (जन्म: – 13 मार्च सन् 1903)

जन्म स्थान: – शिव दयाल सिंह चौरसिया का जन्म स्थान ग्राम खरिका का वर्तमान में तेलीबाग लखनऊ है।
पिता: – इनके पिता का नाम पराग राम चौरसिया था इनके पिता जी का सोनारी का व्यवसाय था। तेलीबाग लखनऊ में ही इनकी पैत्रिक कोठी थी
बचपन:- इनकी माता जी का देहांत इनके बाल्यकाल में ही हो गया था। इनका पालन पोषण इनकी बड़ी बहन रामदुलारी ने किया था ।

शिक्षा: – माननीय शिव दयाल सिंह चौरासिया की प्रारंभिक शिक्षा विलियम मिशन हाई स्कूल लखनऊ में हुई थी ।इन्होंने बाद में B.sc and LLB की शिक्षा कैनिंग कॉलेज वर्तमान लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इनके गुरु श्री राम चरन निषाद तथा गुरु भदन्त बोधानन्द जी थे।


पारिवारिक जीवन

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी का विवाह श्रीमती रामप्यारी जी (बाराबंकी जनपद) से हुआ था। आपके तीन पुत्र रामचंद्र, राजेंद्र और बिजेन्द्र तथा एक पुत्री आशा थी।
पुत्री आशा का विवाह बाढ़ क्षेत्र बिहार में किया था।
श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी बिहार हाईकोर्ट में कई वर्षों तक फौजदारी की वकालत भी की।

लोक अदालत के जनक

सन् 1928 में शिवदयाल चौरसिया जी एल एल बी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सन् 1929 में रजिस्टर्ड एडवोकेट हो गये। इन्होंने लखनऊ के लोवर कोर्ट और लखनऊ हाईकोर्ट तथा बिहार के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली में भी सफलता पूर्वक वकालत की। श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के एक अच्छे वकील थे।
माननीय शिव दयाल सिंह चौरसिया जी उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद जी के कानूनी सलाहकार भी रहे।
श्री शिवदयाल सिंह चौरसिया ने सन 1953 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एच .एन. भगवती, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति यस. के.दास एवं सुविख्यात न्यायविद् श्री एम.सी .शीतलवार, सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट श्री सी. के .दफ्तरी तत्कालीन महान्यायवादी भारत के संरक्षण में “सेन्ट्रल लीगल एंड सोसायटी” की स्थापना की। इस सोसाइटी का मुख्यालय सुप्रीम कोर्ट में था ।और उस की अनेक शाखाएं थी इस सोसाइटी के तहत राष्ट्रीय स्तर पर तमाम जरूरतमंद गरीबों, दलितों ,शोषितों और पिछड़े लोगों को निशुल्क कानूनी सहायता एवं परामर्श दिया जाने लगा।

कालान्तर में जब श्री शिवदयाल सिंह चौरसिया सांसद बने तब अपने सांसद काल में सन 1975 में भारतीय संविधान में संशोधन कराया और भारतीय संविधान में अनुच्छेद 39 A (दिनांक 03/01/1975 ) को जुड़वाकर निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त कराने का मार्ग प्रशस्त किया। वर्तमान की”लोक अदालत ” श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी की ही देन है।

साइमन कमीशन का स्वागत

सन 1927 में ब्रिटिश हुकूमत ने साइमन कमीशन का गठन किया। और जब सात ब्रिटिश सांसद सर जान आल्सेबराक साइमन की अध्यक्षता में साइमन कमीशन भारत आया ।और यह कमीशन 5 जनवरी 1928 को लखनऊ पहुंचा ।तब लखनऊ में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के पिताजी के प्रयास से बरई, तंबोली महासभा के सेक्रेटरी जंगी लाल चौरसिया के द्वारा असमानता और भेदभाव के विरुद्ध साइमन कमीशन को सुधार अपनी मांग रखकर ज्ञापन दिया।

तथा उस समय श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी गवाहों की हिंदी में व्यक्तिगत सुनवाई को अंग्रेजी में अनुवाद कर साइमन सर को बताया तथा उसे लिखकर देने जैसा चुनौती पूर्ण कार्य को बखूबी से अंजाम दिया ।

साथ ही स्वयं डिप्रेस्डड क्लासेस की ओर से अपना क्रांतिकारी बयान कलम बंद करवाया । जिसके लिए सर साइमन जी ने श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी का बहुत आभार ब्यक्त किया और कृतज्ञता प्रकट की । साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 7 जून 1930 में ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दी। जब ब्रिटेन में गोलमेज सम्मेलन आयोजित हुआ, तब श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी को भी (साइमन कमीशन के सामने अपने कलम बंद बयान तथा कार्य के कारण) उनको भी गोलमेज सम्मेलन में ब्रिटिश हुकूमत की ओर से बुलावा पत्र आया था। परंतु किन्हीं अपरिहार्य कारण से श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी गैरमौजूदगी सम्मेलन में प्रतिभाग करने नहीं जा सके। जिसका उन्हें जीवनभर अफसोस और पछतावा रहा।

डा.भीमराव अंबेडकर से संपर्क

– श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी भदन्त बोधानन्द महास्थविर के साथ नागपुर में होने वाले डिप्रेस्ड क्लासेस के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गए जहाँ उनकी मुलाकात डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी से प्रथम बार हुई ।तथा वे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी से बहुत प्रभावित और उनके साथ काम करने लगे ।उसके बाद श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी और डा. भीमराव आंबेडकर जी का एक दूसरे के पास आना जाना लगा रहा। और दोनों लोग एक दूसरे के साथ मिलकर विभिन्न स्थानों पर सैकड़ों बार बैठकें की।

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी( उत्तर प्रदेश के), डा. भीमराव आंबेडकर जी के दाहिने हाथ और श्री राम लखन चन्दापुरी(बिहार के) बायें हाथ की भूमिका का निर्वहन किया करते थे।

सामाजिक कार्य में योगदान

सन्1927 में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने समस्त पिछड़े वर्गों को सामाजिक,आर्थिक,शैक्षिक और राजनैतिक रूप से जागरूक करने के लिए”आदि हिन्दू सभा”का गठन किया। जिसे, सन् 1928 में डा. भीमराव आंबेडकर जी से मिलने के बाद” डिप्रेस्ड क्लासेस लीग” में विलय कर दिया। और 1928 से 1930 तक इसके प्रधान रहे।

दिसम्बर 1928 में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने एक नौ रत्न कमेटी का गठन किया,बाद में उसका नाम बदलकर “मूल भारतवासी समाज” रखा।

और 1929 में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने “बैकवर्ड क्लासेस लीग” की स्थापना की ।और 8 दिसम्बर 1929 को रिसाले दारू पार्क लखनऊ में “बैकवर्ड क्लासेस लीग” का अधिवेशन किया।

उसके बाद 1930 बिहार में श्री दादू सिंह एडवोकेट के नेतृत्व में, बंगाल में राम मोहन पाल की अध्यक्षता में, मद्रास में बी.एम.घटिकाचलम हिज हाइनेस महाराजा पीठा पुरम के सभापतित्व में, पंजाब में जाति-पांति तोड़कर मंडल के जन्म दाता संत राम बी.ए. एवं बालकृष्ण वैरिस्टर के नेतृत्व में, बम्बई के गोवर्धन दास नरोत्तमदास घायल के नेतृत्व में, दिल्ली में चन्दीमल सेठ की अध्यक्षता में, और मध्य प्रदेश में श्री द्वारिका प्रसाद जी के नेतृत्व में “बैकवर्ड क्लासेस लीग” की स्थापना की। तथा 28,29,30 दिसम्बर 1930 को जबलपुर में अखिल भारतीय बैकवर्ड क्लासेस और डिप्रेस्ड क्लासेस की एक बड़ी कान्फ्रेन्स करायी। जिसमें श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी मुख्य अतिथि रहे। 1930 में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने वाराणसी में बाबा विश्वनाथ मंदिर प्रवेश आन्दोलन भी चलाया।

3 फरवरी 1932 में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने डॉ भीमराव अंबेडकर का लखनऊ में गर्मजोसी के साथ स्वागत किया तथा समस्त पिछड़े वर्गों सछूत तथा अछूतों के उत्थान के लिए बैठ कर विचार विमर्श किया और भविष्य की रणनीति और आंदोलन की रुपरेखा बनाई।

बौद्ध रीति से विवाह

भगवानदास जो प्रशासनिक सर्विस के लिए लखनऊ आए थे आनन फानन में उनकी शादी के लिए व्यवस्था की। तथा शादी बौद्ध रीति रिवाज से सम्पन्न करवायी।

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के नेतृत्व में अप्रैल 1945 में 20 लोगों का प्रतिनिधि मंडल बनाया गया जो समय समय पर ब्रिटिश पार्लियामेंट जाकर पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अपनी मांगे रखी। तथा यह “डेलीगेशन मिशन” लार्ड माउंट बेटन, महात्मा गांधी, डा अम्बेडकर, मोहम्मद अली जिन्ना से भी मिलकर अपना मेमोरेन्डम दिया।

1948 में लखनऊ में सम्मेलन: – 25 अप्रैल 1948 को में लखनऊ में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के नेतृत्व में “शेड्यूल कास्ट फेडरेशन” केएक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी, जो तत् कालीन भारत सरकार के कानून मंत्री थे सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे तथा जिसमें तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत भी थे ।उस सम्मेलन में श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के द्वारा यह पूछने पर कि ‘डॉक्टर साहब ‘ हम लोगों के लिए इस संविधान में क्या है तब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने गोविंद बल्लभ पंत की तरफ इशारा कर करते हुए कहा “चौरसिया जी ” जिस दिन हमारे लोग जागरुक हो जाएंगे उस दिन पंत जैसे लोग हमारे लोगों के जूते के पीते खोलने और बांधने में ही गर्व महसूस करेंगे।

26 जनवरी 1950 को दीवान चन्द हाल दिल्ली में “अखिल भारतीय बैकवर्ड क्लासेस फेडरेशन” का एक अधिवेशन श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के सभापतित्व में हुआ। तथा 16मई1950को एक अधिवेशन कांस्टीट्यूशन क्लब दिल्ली में भी हुआ, जिसका उद्घाटन तत्कालीन उप राष्ट्रपति डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया। और एक अधिवेशन 30 अगस्त 1953 में लखनऊ में हुआ जिसका उद्घाटन विधायक जयराम वर्मा ने किया।

काका कालेलकर आयोग

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अन्तर्गत 29 जनवरी 1953 को “प्रथम राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग”/काका कालेलकर आयोग का गठन तत्कालीन राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद जी ने किया। जिसमें श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी को सांसद या विधायक न रहने के बावजूद तथा महत्वपूर्ण प्रथम गैर कांग्रेसी सदस्य मनोनीत किया।

30 अक्टूबर 1953को श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी इस सम्बन्ध में डा अंबेडकर जी से भी मिले थे। और श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के ही बहुत ही अथक परिश्रम से 30 मार्च 1955 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को सौंप दी।

जब इस रिपोर्ट के संबंध में काका कालेलकर और श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिले तब नेहरू ने काका कालेलकर को बहुत बुरा भला कहा और श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी की तरफ पीठ करके व्हीलचेयर पर बैठे रहे। और बाद में काका कालेलकर को बुलाकर उस रिपोर्ट के खिलाफ ड्राफ्ट लिखवाकर ठंडे बस्ते में डाल दिया।

67 पेज की रिपोर्ट में अन्य पिछड़े वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में 54%केआरक्षण की बात थी। इस रिपोर्ट को श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी अपने साथियों भगवान दास आदि के साथ रात दिन की कड़ी मेहनत करके तैयार की थी।

इसी रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 17सितम्बर 1958 को उत्तर प्रदेश के लिए पिछड़ी जातियों की सूची जारी कर दी।

पेरियार ई वी रामास्वामी पेरियार का स्वागत

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने सन् 1958 में लखनऊ में पिछड़े वर्ग के सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया, उसके बाद भी पेरियार तीन बार लखनऊ श्री चौरसिया जी के आमन्त्रण पर आये।

राजनैतिक पारी

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने सन् 1967 में रायबरेली से लोकसभा के चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़े।

और-श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी, देश के प्रसिद्ध उद्योग पति के के बिरला आदि के मुकाबले में इंडियन नेशनल कांग्रेस के टिकट पर भारी बहुमत से उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद के रूप में चुने गये। 03/04/1974 से 02/04/1980 तक -श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी राज्य सभा के सांसद रहे। और इसी समय श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी के प्रयास से संविधान में अनुच्छेद 39A जोड़ा जा सका, जिसके कारण श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी को ही लोक अदालत का जनक कहा जाता है। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह जब श्री चौरसिया जी बीमार थे तब उन्हें देखने उनके आवास कोठी न. 13 ए पी सेन रोड चारबाग लखनऊ आये थे।

बामसेफ, कांशीराम और श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने 1977 में बर्थ आफ बामसेफ के कार्यक्रम को सम्बोधित किया।

मान्यवर कांशीराम और श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी की पहली मुलाकात पूना में हुई। जिसमें श्री चौरसिया जी ने मान्यवर कांशीराम जी को लखनऊ आमन्त्रित किया। उन्हें लखनऊ में अपना ट्रेनिंग सेंटर रहने के लिए दे दिया। इसी को कई लोग कांशीराम आवास के रूप में जानते थे।

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने अपने सांसद काल में अपना सांसद आवास” विट्ठल भाई पटेल हाउस” नई दिल्ली का फ्लैट कांशीराम जी को बामसेफ के राष्ट्रीय कार्यालय बनाने के लिए दे दिया। तथा स्वयं दूसरी जगह बाहर किराये पर कमरा लेकर रहने लगे।

और बाद में काफी समय के बाद ₹ 90,000.00का फ्लैट के किराये का नोटिस आया, तब श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने अपनी पेंशन से अदा यह कहकर किया कि बामसेफ हमारी संस्था है।

श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी कहा कहते थे कि

“शूद्रों अब सवर्ण बनना छोड़ो”

और

“शूद्र राज्य अवश्य आएगा और मेरे जीवनकाल में ही आएगा” ।

मैं चौरसिया हूँ!” मैं जब तक हिंदू समाज की असमानता को चौरस करके ही मरूंगा। ” और जब मायावती मुख्यमंत्री बनी, तब श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी ने शुगर होते हुए भी मिठाई खाई।

परिनिर्वाण: -18 सितम्बर 1995 को श्री शिव दयाल सिंह चौरसिया जी हमेशा हमेशा के लिए चिरनिद्रा में सो गये।